खाटू जो पोंचा पहली वार मन को लुभाया ये दरबार,
कुक सी दिल में उठने लगी श्याम से हो गया मुझको प्यार
झुक कर किया नमन
झुक कर किया नमन के मेरे दिन बदल गए
जब से मिली शरण के मेरे दिन बदल गए,
श्याम ने सिर पर हाथ धरा भोज मेरे सिर का उतरा
किरपा श्याम ने बरसाई भाग हो गया हर भरा
मेहका मेरा चमन के मेरे दिन बदल गए
झुक कर किया नमन
अब जीवन में मस्ती है मेरी सुखी गरसति है
जो आनंद मैं लेता हु
दुनिया उसे तरसती है
रहता हु मैं मगन के मेरे दिन बदल गए
झुक कर किया नमन
श्याम के दर पे जाता हु कुछ लेकर ही आता हु
बिन्नू केहता है इसी लिए श्याम तराने गाता हु
करता हु मैं भजन के मेरे दिन बदल गए
झुक कर किया नमन