जो जग से निराले एक ऐसे धाम की,
भक्तो तुमको सुनाऊँ लीलाएं श्याम की.....
मंदिर से बाबा मेले में वेश बदल कर घूमे,
मस्तक पर सूरज चमके अम्बर भी चरण को चूमे,
चंदा भी उतारे नज़र श्याम की,
भक्तो तुमको सुनाऊँ लीलाएं श्याम की......
धरती ये चरणों को पखारे, पवन इत्तर छिड़काये,
गगन मगन में नाच उठे कोयल भी मंगल गाये,
मिलने बेटे से आये श्री राम जानकी,
भक्तो तुमको सुनाऊँ लीलाएं श्याम की......
नगर भवन होवे कीर्तन भक्तों संग श्याम भी झूमे,
छप्पन भोग सजा दे रे भगता साथ में बाबा जीमे,
और संग रंग जमाते बजरंग हनुमान जी,
और संग रंग जमाते सालासर लाल जी,
भक्तो तुमको सुनाऊँ लीलाएं श्याम की.......
बाबा से मिलने भगता जी नंगे पाँव चाले,
भले फटे जैसे भी कटे पड़ जाएँ पाँव में छाले,
यूँ ना महिमा निराली इस पावन धाम की,
भक्तो तुमको सुनाऊँ लीलाएं श्याम की.......