कण कण में तेरा बसेरा है,
कुछ भी नहीं है मेरा यहां माँ,
जो भी है तेरा है,
कण कण में तेरा बसेरा हैं
चंदा और सूरज तेरी दो आँखें हैं प्यारी,
सारा चराचर लहराये बन कर तेरी सारी,
ये धरा तेरे चरन सर का ताज ये गगन,
ऊष्मा तेरी अगन शीतलता तेरी पवन,
ये ब्रह्माण्ड हे माँ मुख तेरा है,
कण कण में तेरा बसेरा हैं...
लता सुमन हैं माँ तेरे बालों का गजरा,
रात सुहानी है माँ तेरे आँखों का कजरा,
तेरे नयनों में सागर दिल में ममता की गागर,
सारे गुण की तू आगर जीवन करती उजागर,
झिलमिल सितारों का आँगन तेरा है,
कण कण में तेरा बसेरा हैं....
दसों दिशायें हैं माँ तेरी दसों भुजायें,
उनचासों पवन लाती रंगीन फिजायें,
तेरी माया न जानूँ माँ तुझे न पहचानूँ,
तेरी शक्ति न मानूँ अज्ञानी है ये ज्ञानू,
तुझसे ही माँ ये साँझ सबेरा है,
कण कण में तेरा बसेरा हैं.....