सावन महीने के रुत मत वाली,
हरे हरे पीपल की उची उची डाली,
डाली में झूला ढाल झूला झूले भवानी,
छोटी सी कन्या का रूप बना के,
छोटी छोटी सखियों को संग भुला के,
लीला रची है कमाल, झूला झूले भवानी,
लाल लाल चूड़ा लाल मेहँदी रचाई,
लाल चुरनिया सिर पे सजाई,
पहन के चोला लाल झूला झूले भवानी,
रेशम की डोरी का रेशम सा चुल्ला
मैया जी को भाये निराला ये झूला,
उड़े पवन की चाल झूला झूले भवानी,
माँ वैष्णो की जब बारी आई,
झूला झुलाये जवाला माई,
कुणी रही संभाल, झूला झूले भवानी,