पवन पुत्र हनुमान तुम्हारी अजब अनोखी माया है,
तुमसा दयालु कोई न जग में राम भक्त कहलाया है
तेरी भगति में है शक्ति राम नाम नित गाते हो,
अपने सच्चे प्यार की खातिर सीना चीर दिखाते हो,
राम नाम की मला जपके राम को तुम ने पाया है,
तुमसा दयालु कोई न जग में राम भक्त कहलाया है
रघुवर के तुम सदा स्नेही तुमको गले लगाते है,
अपनी हर दुबिदा में बजरंग तुमको सदा बुलाते है,
प्यार में उनके डूभ के तुम ने राम रत्न धन पाया है,
तुमसा दयालु कोई न जग में राम भक्त कहलाया है
अंजनी माँ के लाल तुम्हारे जग में खेल निराले है,
असुर निकंदन कहलाते हो सबके संकट टाले है,
केवल ने जग छोड़ के सारा तुम से नेह लगाया है,
तुमसा दयालु कोई न जग में राम भक्त कहलाया है
अपने भगतो को तुम हनुमत कभी नहीं विसराते हो,
सुन के भगतो की फर्यादे दौड़े दौड़े आते हो,
केवल दमान थाम के हमने आस का दीप जलाया है,
तुमसा दयालु कोई न जग में राम भक्त कहलाया है