हे भगवान हम अज्ञान कैसे ध्यान करे तेरा
ऐसे कौन से कर्म करे जो साथ मिल जाए तेरा
ये दुनिया का मेला भटक मैं जाऊ न
राहे बहुत सी है कही खो जाऊ न,
हु अकेला उस भीड़ में दिल ये गबराए मेरा
ऐसे कौन से कर्म करे जो साथ मिल जाए तेरा
तुम से हो होती है सुबह और शाम यहाँ
तेरे बिन न होता ओई भी काम यहाँ
तेरे ही तो छाया में खिल जाए ये जीवन मेरा
ऐसे कौन से कर्म करे जो साथ मिल जाए तेरा