अपने मां बाप की याद जो मनाते हैं
(धुनः तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे)
अपने मां बाप की, याद जो मनाते हैं।
मुक्त होते पितृऋण से, सब सुख पाते हैं।।
मां बाप रब्ब से कम नहीं, वेद यह बताते हैं।
धरती पर हर जीव को, मां बाप ही लाते है।।
बड़ी मेहनत से हमें, काबिल बनाते हैं
अपने मां बाप की, याद जो मनाते हैं........
निस्वार्थ सेवा कीन्हीं, उमर भर मां बाप ने।
सोचो तो उनके लिये, क्या कुछ किया आप ने।।
हक्क अपना जतलाते हम, फर्ज़ भूल जाते है
अपने मां बाप की, याद जो मनाते हैं.........
मन मंदिर में ए 'मधुप', बिठलाके मां बाप को।
दान पुण्य सेवा करो, ऋण-मुक्त करो आप को ।।
जीवन सफल उन्हीं का धर्म जो कमाते हैं
अपने मां बाप की, याद जो मनाते हैं........