माँ अंजनी के लाल तुमहे हम मिल कर शीश निभाये,
दुःख भय बंजन मारुती नन्द जय जय कार लगाये
हे राम भगत माह बल शाली हम तुमको शीश जुकाए ,
हे पवन पुत्र हनुमान तुम्हे शरदा सुमन चडाये
बाला जी किरपा हो जिस पर भव से वो तर जाता है
बाला जी के गुण गाता है
बाला जी किरपा हो जिस पर भव से वो तर जाता है
मेहँदी पुर की गलियों में धूम मची है भारी
बाला जी के दर पे आके मिट ती दुविधा सारी,
बाला जी की किरपा हो जिस पर भव से वो तर जाता है
भक्त जनों के संकट हर के पल में कष्ट मिटाए
केसरी नन्द दुःख भये भंजन बिगड़े काम बनाये
बाला जी किरपा हो जिस पर भव से वो तर जाता है
बाला जी को ढोक लगा के जय जय कार लगाये,.
बाला जी के चरणों में हम नत मस्तक हो जाए
बाला जी किरपा हो जिस पर भव से वो तर जाता है