बिरथा में अपन माला डार रहे

बिरथा में अपन माला डार रहे
का हो वोतो पापियन को तार रहे

खर-दूषण धरती पर कितनो अत्त कये थे
जन्म जात बीज वे तो पाप ही को बये थे
राम राम राम राम राम राम राम राम
राम राम अपने वोइ तार रहे

दुराचारी राजा किष्किंधा को बाली
भगा दयो भइया को छीनी घरवाली
राम राम राम राम राम राम राम राम
मर्यादा अपनी वो बिगार रहे

जान जान उनने जनक नंदनी हरी थी
हतो न भरोसो उन्हें अपनी पड़ी थी
राम राम राम राम राम राम राम राम
भार भूमि कहवे का उतार रहे

देखो तो उनने कंस शिशुपाल तारो
 हिरनाकुस को देखो कौन जतन मारो
राम राम राम राम राम राम राम राम
काहो हम उनको का बिगार रहे
श्रेणी
download bhajan lyrics (538 downloads)