तेरी सास पे सास लूटी पगले फिर क्यों नहीं राम भजे,
जीवन की शाम हुई पगले फिर क्यों नहीं राम भजे,
तू ढूंढे सुख सारे जगत में याहा मिले दुःख भारी,
तू खोये जीवन के मोती क्या तेरी लाचारी,
तेरी झूठी आस गई पगले फिर क्यों नहीं राम भजे,
नगर नगर में सीता जोगी प्रेम की ज्योति जलाये ,
क्यों कर्मो में रम ता योगी जगत से प्रीत लगाए,
ये समय निकल न जाए पगले, क्यों नहीं राम भजे,