धुन- कन्हैया ले चल परली पार
सजाकर, शेर मेरे घर आ lll
मैं बैठा, दिल का आसन सज़ा ll
सजाकर lll शेर मेरे घर आ ll
मन का आसन, कब से है ख़ाली ll
आन विराजो, शेरोंवाली ll
तुम बिन और, वसेगा न कोई ll
मन मंदिर में आ,,,
सजाकर lll शेर मेरे,,,,,,,,,,,,,
पाप मिटा दो, गिण गिण मेरे ll
काम क्रोध ने, लगाए डेरे ll
अवगुण मेरे, चित्त न वसाओं ll
दो चरणों में जगह,,,
सजाकर lll शेर मेरे,,,,,,,,,,,,,
लग जाए मेरी, ऐसी समाधि ll
मन में रहे न, कोई व्याधि ll
हर पल तेरा, नाम जपूँ मैं ll
ऐसी करो कृपा,,
सजाकर lll शेर मेरे,,,,,,,,,,,,,
कण कण दर्शन, करूँ तुम्हारा ll
रोम रोम, बोले जयकारा ll
ध्यानु सा, विश्वास जगा दो ll
हम पर करो कृपा,,,
सजाकर lll शेर मेरे,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल