सज गयो सरकार देखो प्यारो है श्रृंगार के अमृत बरसेलो जी बरसेलो
केसरियां है बागो तन पर मोर छड़ी मन भावे जी
ऐसे ज्योत जगे बाबा की हर विपदा कट जावे जी
दमके लखदातर देखो मेहके है दरबार के अमृत बरसे लो जी बरसे लो
सज गया सरकार देखो प्यारो है श्रृंगार
अलका काली घुँघर वाली
हिवडे ने उल्जावे जी
चंदा सूरज भी शरमावे ऐसा रूप सुहावे जी
गल वैजयन्ती माल देखो टेढ़ी मेढ़ी चाल
अमृत बरसे लो जी बरसे लो
सज गया सरकार देखो प्यारो है श्रृंगार
ग्यारस ने यो ज्ञान का रस से भगता ने नेहलावे जी
भगता की सब विनती सुन के सुतेया भाग जगावे जी
महिमा अपरम्पार देखो सारा जग को सार के अमृत बरसे लो बरसे लो
सज गया सरकार देखो प्यारो है श्रृंगार
बाबा का मेला के माही जो निशान चडावे है
सारी दुनिया में बन बिरलो बाबा तो हो जावे है
प्रेम की बोछार देखो आओ जी इक बार
अमृत बरसे लो जी बरसे लो
सज गया सरकार देखो प्यारो है श्रृंगार
भक्ता के सागे सागे यो भगता में मिल जावे जी
दास अनिल तो भजन सुनावे बैठ्यो तो मुसकावे जी
मोहे सुर और ताल देखो
भावे चंग धमाल अमृत बरसे लो जी बरसे लो
सज गया सरकार देखो प्यारो है श्रृंगार