हे शीश के दानी श्याम प्रभु

हे शीश के दानी श्याम प्रभु तेरे दर की महिमा भारी है
तेरे दर की महिमा भारी है जाने ये दुनिया सारी है
हे शीश के दानी श्याम प्रभु.....................

ना अहिलवती को वचन दिया
हारे का हर दम साथ दिया
जिसका कोई ना कलयुग में
बाबुल बन उसको तार दिया
हे शीश के दानी श्याम प्रभु................

द्वापर में शीश का दान दिया
जिनसे जो माँगा बाँट दिया
जो शरण में तेरे है आया
पल भर में भाव से पार किया
हे शीश के दानी श्याम प्रभु................

नरसी चरणों में बैठ प्रभु
तुझे दिल का हाथ सुनाते हैं
इस दर पे निखिल आने से
संकट सारे कट जाते हैं
हे शीश के दानी श्याम प्रभु................

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