आओ भगतो आओ भगतो चलो चलें चलो चलें
खाटू नगर, श्याम के दर
मेरा मन मचला जाए, बीत ना जाये,
फागण का मेला कही छूट ना जाये,
आओ भगतो…....
पल पल हर पल याद तेरी तड़पाती है,
में जागु तो नींद तुम्हे न आती है
पूरे साल ये इंतज़ार ही रहता है
कब आएगा फागण मन ये कहता है
ये दूरी अब दोनों से, सही नही जाए,
फागण का मेला कही छूट न जाये,
आओ भगतो.....
आये जो फागण तो बाबा बीते ना,
तेरे तो बस में होगा इसे रोको ना
क्यों ये फागण इतनी जल्दी जाता है,
भीगी पलकों पे यादें रख जाता है
राज प्रेमियों संग अर्ज लगाए,
फागण का मेला कही छूट न जाये,
आओ भगतो.....