जबसे किया है पार खाटू का तोरण द्वार,
और मिला तेरा दरबार बदली मेरी दुनिया है,
पहले था लाचार करता था सोच विचार,
अब मिल रहा सब का प्यार बदली मेरी दुनिया है
जाते ही श्याम कुंड में डुबकी मैंने लगाई,
जीवन के हर पापो से मुकती है मैंने पाई,
खाटू की माटी में ही मेरा सारा संसार,
जबसे किया है पार खाटू का तोरण द्वार,
और मिला तेरा दरबार बदली मेरी दुनिया है,
दर्शन की ले अभिलाषा जब मैंने कदम बढ़ाया,
मंदिर के रस्ते मैंने हर सख्श में मैंने तुझको पाया,
पड़ी नजरे जबसे खर पर बजी मन वीणा की तार,
जबसे किया है पार खाटू का तोरण द्वार,
और मिला तेरा दरबार बदली मेरी दुनिया है,
ग्यारस का पावन दिन था भगतो की लम्बी कतारे,
कानो में सुनाई पड़े फिर हर तरफ तेरे जयकारे,
करि चौकठ पार मैंने और हुआ तेरा दीदार,
जबसे किया है पार खाटू का तोरण द्वार,
और मिला तेरा दरबार बदली मेरी दुनिया है,
भगतो के संग कीर्तन में शानो ने रात बिताई,
बारस की धोक लगा कर फिर शिवम् ने मांगी विदाई,
लगा मुझको कहे बाबा आते रहना हर बार,
जबसे किया है पार खाटू का तोरण द्वार,
और मिला तेरा दरबार बदली मेरी दुनिया है,