सजी स्वर्ग सी खाटू नगरी हर और है उजाला,
आ गई देखो शुभ ग्यारस चमके ये जग सारा,
श्याम बना है दुहला काली कमरी वाला,
हर मंजिल नूरानी आज है रेहमत की वरसात है,
एक अलग अंदाज में दीखता सांवरियां क्या बात है,
मुखड़ा चमके श्याम धनी का जैसे चाँद सितारा,
श्याम बना हैं दूल्हा ........
नो रत्नो से झड़ा मुकट पहने संवारा सेर पे,
दर्शन करने श्याम प्रभु का भीड़ लगी है दर पे,
नजर कही लग जाये न इसको,
लगा काजल काला,
श्याम बना हैं दूल्हा ..
उन हाथो पे सड़के जाओ जिसने इसे सजाया है,
पच रंगा भागा पहनाकर दूल्हा इसे बनाया है,
छमा रसिक कुंदन की नजर में देखा अज़ाब नजारा,
श्याम बना हैं दूल्हा