मेरे दिल में उठे एक हूँक बाबा मेनू याद आ गया
तेरे रंग में रेंज चितचोर बाबा मेनू याद आ गया
खाटू के गलियों के अजब नज़ारे
दर्शन को भक्त आते लगती कतारे
श्रद्धा न्यारी करे मन विभोर बाबा मेनू याद आ गया
मैं भी चहुँ श्याम तुझसे नज़दीकियां
दर पे बुला ले मेरी तरसे हैं अँखियाँ
रहना पाऊं खींचो मेरी डोर बाबा मेनू याद आ गया
ना होना दूर बाबा चाहूँ न जुदाई
मुझे प्रीत भा गयी है यही है सच्चाई
भजता राकेश तुझे चितचोर बाबा मेनू याद आ गया
मेरे दिल में उठे एक हूँक .................