कैसे बैठा रे आलस में मुख्य से राम कह्यो न जाये,
भौर भये मल मल मुख धोये
दिन चढ़ते ही उदर टटोये
बातन बातन सब दिन खायो
साँझ भई पलना में सोए 
सोवत सोवत उम्र बीत गयीं
काल शीश मंडराए रे, तोसे......
लख चौरासी में में भटक्यो 
बड़े भाग्य मानुष तन पायो 
अबकी भूल न जाना भाई 
लुट न जाये फिर ये कमाई
राधेश्याम समय फिर ऐसो 
बार बार नही आये रे,तोसे.....