बरस रही रामरस भक्ति, लूटन वाले लूट रहे।
पाते हैं जो प्रभु के बंदे, छूटन वाले छूट रहे।।
कोई पीकर भया बावरा, कोई बैठा ध्यान करे।
कोई घर घर अलख जगावे, कोई चारों धाम फिरे।।
कोई मन की प्यास बुझावे, कोई अपने कष्ट मिटावे।
कोई परमारथ काज करे, कोई बन बाबा घूम रहे।।
कोई पिये हिमालय बैठा, कोई पिये देवालय बैठा।
पियो 'अनुरोध' भर भर प्याले, मनुस जनम फिर नाहिं मीले।।
लिरिक्स-रामश्रीवादी अनुरोध