जब मिलने को दिल चाहे तू ऐसी युगति बनाये
एहसान तेरा सांवरिया मुझे हर ग्यारस पे बुलाये
जब मिलने को दिल चाहे..............
जब हो मेरा व्याकुल मन और उठने लगे इक तड़पन
तुझसे अरदास लगाऊं हल हो जाए हर उलझन
हर राह पे बनके साथी मेरा हर पल साथ निभाए
एहसान तेरा सांवरिया मुझे हर ग्यारस पे बुलाये
जब मिलने को दिल चाहे..............
मुश्किल से गुजरे ये दिन और रातें तारों को गईं
ये तू जाने या दिल ये कैसा है अपना बंधन
क्या प्रीत है तुझसे दिल की तेरी और खिंचा ही आये
एहसान तेरा सांवरिया मुझे हर ग्यारस पे बुलाये
जब मिलने को दिल चाहे..............
कहाँ किस्मत लिखा है सबको मिलना तेरा द्वारा
धामी का भाग्य प्रबल है जो तूने दिया सहारा
कैसे खाटू के दातारी सतविंदर क़र्ज़ चुकाए
एहसान तेरा सांवरिया मुझे हर ग्यारस पे बुलाये
जब मिलने को दिल चाहे..............