मेरी पहुँच बहुत है ऊँची,
मुझ पर है किरपा प्रभु की,
सेठो का सेठ निराला मेरे साथ है खाटू वाला,
जब तक है सहारा मुझको श्याम धनि तेरा,
कोई बांक नि बांका कर सकता मेरा,
कोई टाटा कोई बिरला कोई होगा अम्बानी,
पर अपना तो श्याम धनि जिसका न कोई शानी,
जब साथ है तू सांवरिया सुख चैन की नींदर आवे,
कोई चिंता फ़िक्र उदासी नजदीक ना आने पावे,
जब तक है सहारा श्याम धनि मुझको तेरा,
कोई बाल नहीं बांका कर सकता है मेरा,
मेरी पहुँच बहुत है ऊँची........
श्याम के घर में अपना क्यों आना जाना है,
यु ही समज लो रिश्ता जन्मो का पुराना है,
जब चाहे पास भुलाले जब चाहे दूर बिठावे,
पर दिल से दिमाग से अपने इक पल भी न बिसरावे,
जब तक है सहारा मुझको श्याम धनि तेरा,
कोई बांक नि बांका कर सकता मेरा,
डूब नहीं सकता मैं मेरा दिल कहता है,
बनकर आप खिवैया वो अंग संग रहता है,
माझी हो जब ऐसा वो तूफ़ान से क्या डरना,
मिलना तय है साहिल का सिकवा क्या किसी से करना,
जब तक है सहारा मुझको श्याम धनि तेरा,
कोई बांक नि बानका कर सकता मेरा,