एह श्याम मेरे तेरियां अँखियो से ये प्रेम सदा ही बरसता रहे,
तेरे माथे में ये सजा निरशल जीवन भर यु ही सजता रहे,
एह श्याम मेरे हमप्रीत मेरे क्या वचन कहु तेरे वंदन में,
तू ही रचना पार इस दुनिया का तेरी खुसबू मिले हर चन्दन में,
खाटू मिटी में मिल जावा फूल बन के मैं खिल जावा इतनी सी है दिल की आरजू,
तेरी भगति में बह जावा तेरा सेवक बन जावा इतनी सी है दिल की अर्जु,
ओ श्याम मेरे तेरे दर्शन को मैं कोसो दूर से आया हु,
जो पोहंच गया मैं तेरे दरबार मैं कितना नसीबो वाला हु,
मैं दास तेरा चाकर मैं तेरा तेरा मेरा प्यार निराला है ,
जब अश्क बहे इन आखियो से इसे तू ही पोछने वाला है,
खाटू मिटी में मिल जावा फूल बन के मैं खिल जावा इतनी सी है दिल की आरजू,
तेरी भगति में बह जावा तेरा सेवक बन जावा इतनी सी है दिल की अर्जु,
तू बलशाली तीन वान धारी तू ही शीश का दानी कहलाता,
तेरे पाँव पड़े जिस वन में तो वो वृन्दावन है बन जाता,
इस धरती से इस अम्बर से मेरे लाहु की हर इक बून्द कहे,
जब प्राण जाए इस तन से मेरे मुख पे तुम्हारा नाम रहे,
खाटू मिटी में मिल जावा फूल बन के मैं खिल जावा इतनी सी है दिल की आरजू,
तेरी भगति में बह जावा तेरा सेवक बन जावा इतनी सी है दिल की अर्जु,