ये ज़िंदगी मिली है दिन चार के लिये,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिये,
कई पुण्य किये होंगे जो ये मानव तन है पाया,
पर भूले गए भगवान को माया में मन भरमाया,
अब तक तो जीते आये है परिवार के लिये,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिये,
तूने पाई पाई जोड़ी कोई कमी कही न छोड़ी,
पर संग में सुन ले तेरे ना जाये फूटी कोड़ी,
कुछ धर्म पुण्य तो जोड़ो उस पार के लिये,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिये,
ये जग है एक सराये कोई आये कोई जाये,
इस का दस्तूर पुराना कोई सदा न टिक ने पाये,
घजे सिंह श्याम को भजलो उधार के लिये,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिये,