पाँच मिरगला पच्चीस मिरगली

जतन बिना मिरगाँ न खेत उजाड्या रे,
हाँ रे तु तो सुण रे मिरग खेती वाला रे

पाँच मिरगला पच्चीस मिरगली
असली तीन छुन्कारा
अपने अपने रस का भोगी
चरता है न्यारा रे न्यारा रे

मन रे मिरगले ने किस बिध रोकूँ
बिडरत नाय बिडारया
जोगी जंगम जती सेवड़ा
पंडित पढ़ पढ़ हारया रे

आम भी खाग्यो अमली भी खाग्यो
खा गयो केसर त्यारा
काया नगरिये में कछुयन छोड्यो
ऐसो ही मिरग बिडारया रे

शील संतोष की बाड़ संजोले
ध्यान गुरु रखवाला
प्रेम पार की बाण संजोले
ज्ञान ध्यान से ही मारया  रे  

नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा
ऐसा मिरग बताया
भानीनाथ शरण सत गुरु की
बेगा ही बेग सम्भाल्या रे
श्रेणी
download bhajan lyrics (587 downloads)