गोरा भांग गोटदे

रे गोरा रिम झूम पड़े फुहार यो मस्त महीना सावन का,
रे जल्दी रगड़े क्यों न भांग खिलेगी मूड बनावन का

ठंडी ठंडी पवन चले बिन भांग धटा न जावे
काची काची भांग देख मेरी भूख बड ती जावे
रे गोरा मिल जा तने परनाम देख ले मने सतावन का
रे जल्दी रगड़े क्यों न भांग खिलेगी मूड बनावन का

मैं और किसी का लाडा न बस भांग का घना सवादु
घोटन ने अरे  और घोटे रे पर तेरे हाथ में जादू
हे गोरा कौन सा करु उपाए बता दे तने मनावन का
रे जल्दी रगड़े क्यों न भांग खिलेगी मूड बनावन का
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