सांचे मन से जो भी करो लध्यावाना
ईशा पूरण बाला जी थारी पुरे मन की कामना
जो भी इनकी ओट लेई फिर देह से आन पुकारा है
उनका तो बाला जी पल में सगला कारज सारा है
इनह चरना में अपनी अरज ल्गावाना
ईशा पूरण बाला जी थारी पुरे मन की कामना
जो भी इस दरबार आया मन में लेकर आशा जी
कदे नही आई है उनके जीवन माही निराशा जी
सब कोई राखो साँची मन की भावना
ईशा पूरण बाला जी थारी पुरे मन की कामना
करना से करना संकट इक किरपा से टल जावे जी
निर्धन हो धन वान बांज गोदी में लाल खिलावे जी
नित्य नियम से इनके दर्शन पावना
ईशा पूरण बाला जी थारी पुरे मन की कामना