माया का लोभी मत कर अभिमान
मिल्यो अवसर तुख भज हरी नाम
या माया रे जसी तरुवर की छाया
या माया को पार नी पाया
कभी लग छाव भैया कभी लग घाम
मिल्यो अवसर तुख भज हरी नाम
या माया म जो उलझाया
जो पड़या फंद एका खूब पछताया
पड़ दुख भारी फिर रोव सुबह शाम
मिल्यो अवसर तुख भज हरी नाम
या माया छे जगत ठगोरी
रावण न सीता ख चोरी
मिटी गयो जेको भाई नामो रे निशान
मिल्यो अवसर तुख भज हरी नाम