तर्ज - तेरे जैसा यार कहाँ....
बाबोसा का द्वार जहाँ , वहाँ मेरा आशियाना
मुझे दरबार मिला ,करू तेरा शुकराना
बाबोसा का द्वार जहाँ....
सब जानते है क्या था , मेरी जिंदगी में पहले
मुझे कोन जानता था , तेरी बंदगी से पहले
करके कृपा मुझपर , दिया ऐसा नजराना
मुझे दरबार मिला ,करू तेरा शुकराना
बाबोसा का द्वार जहाँ....
बदले अगर ये दुनिया , बदले अगर जमाना
मेरी जिंदगी के मालिक ,कही तुम बदल न जाना
तू ही तो है साथी मेरा , सच्चा तेरा याराना
मुझे दरबार मिला ,करू तेरा शुकराना
बाबोसा का द्वार जहाँ....
तुमसे यही अभिलाषा जब भी मेरा जनम हो
तेरे नाम से शुरू हो , तेरे नाम पे खतम हो
सामने हो जब दिलबर लिखू ऐसा अफसाना
मुझे दरबार मिला ,करू तेरा शुकराना
बाबोसा का द्वार जहाँ....
✍️ दिलीप सिंह सिसौदिया
" दिलबर "
नागदा जक्शन म.प्र.