आये माँ के नवरात्रे खुशिया मानो रे,
घर घर होते है जगराते महिमा गाओ रे,
भवन बनके घर को सजा के माँ को भुलाओ रे,
आये माँ के नवरात्रे खुशिया मानो रे,
नो रूपों में मैया दर्शन देती निराला,
नो रूपों का पूजन मुक्ति देने वाला,
श्रधा जगा के लगन लगा के तुम भुलाओ रे जय जय भुलाओ रे,
आये माँ के नवरात्रे खुशिया मानो रे,
पहला रूप शहल पुतरी आओ पूजन करलो
ब्रह्म चारनी दूजा माँ का दर्शन करलो,
चन्द्रधंटा है रूप तीजा,
पुश्माडा है चोथा सारे पाओ रे जय जय भुलाओ रे,
आये माँ के नवरात्रे खुशिया मानो रे,
सकंद माँ का भक्तो पंचमा दर्शन प्यारा,
कतायानी काल रात्री है छठा और सातवा,
आठ वा दर्शन है माँ गोरी,नोवा दर्शन सिह्दी दाती किरपा पाओ रे जय जय भुलाओ रे
आये माँ के नवरात्रे खुशिया मानो रे,