बनू दास जनम जनम तक यो ही आयो मांग ने
मैया थारे आगने,
मंगल गाऊ घर घर जा कर था सु मिलयो उपकार
दे के सेवा ही जन्म में बहुत कियो उपकार
मौज उडावा मैं तो दादी थारे कारने
मैया थारे आगने,
मानव तन जो पाऊ फिर से मंगल मैं गाऊ
पंशी जीवन म्हाने देयो यो जो ही मैं चाहू
बन के मोरी यो मैं नाचू मंदिरे रे बाहर रे
मैया थारे आगने,
चाहे बना ले श्याम ने दादी निज चरना री धुल
चरण चाकरी करने में मा सु हॉवे न कदे भूल,
म्हारे भी तारो मैया बैठ्या सब ने तारने
मैया थारे आगने,