श्री हरिदास गाओं श्री हरिदास,
जो स्वामी जी का नाम जापे गा उसको ही ब्रिज वास मिले गा,
मिल जायेगे कुञ्ज बिहारी मिल जाये गे बांके बिहारी,
जो दासो का दास बनेगा,
यही राधा बालव यही राधा दामोदर यही है यमुना तट पर,
यही बंसी वट पर यही है यमुना तट पे,
ब्रिज की रज के कण कण में छिप बैठे कुञ्ज बिहारी,
डाल डाल और पात पात में रमन करे बनवारी,
जो ब्रिज रज में लोट लगा कर पावन नाम का जाप करे गा,
उसको ही ब्रिज वास करेगा,
जो स्वामी जी का नाम जापे गा.....
कभी राधा कुंड जाओ कभी सेवा कुंड जाओ,
कभी टटियाँ साथन पे श्री हरिदास भुलाओ ,
शदनी निकुंजन श्री निधि वन में तान पूरा लिया गाये
श्री विठल विपुल बिहरण दास की महिमा कही ना जाये,
जो गुरु देव की शरण में रह कर,
इस बिरहा का ताप सहे गा उसको ही ब्रिज वास मिले गा,
जो स्वामी जी का नाम जापे गा....
राहु संतो की शरण में करू मन पावन अपना,
चले सांसो की माला तो सच हो जाये सपना,
गोकुल रमन रेती गोवर्धन नन्द गाओं बरसाना,
कोकिला बन चौरासी खम्बा मथुरा में भी जाना,
श्री हरिदासी उसको हो जानकी जो पुराण विश्वाश करे गा,
जो स्वामी जी का नाम जापे गा