किने सुनाऊं मन की बाता कोई ना श्याम हमारो है
तू भी रूसो बैठो बाबा आखड़ली भरायो है
किने.........
जग झूठो सब रिश्तो झूठो , तू ही सच्चो साथी है
कईया मनाऊं थाने बाबा सेवकियो तो अनाड़ी है
जोर ना चाले महारों था पर , तु तो लखदातारी है
किने.......
रोता रोता थक गया बाबा अपना म्हारे समायी है
जो बाता थी दिल में म्हारे अब होठा पे आई है
कर दे कृपा ठाकुर ईब तो बस म्हारे से के लड़ाई है
किने........
म्हारे से ने लगा के रसिया ,क्यु छोड़ो मझदार है
तेरे बिना म्हारी कौन सुनेगो तू मेरो आधार है
मनडो म्हारो सुनो डोले, थारे मिलन की आस है
किने.......
थारे रूसया कईया सरसी,
थे प्राणों से प्यारा हो गलती का पुतला हा बाबा,
फिर भी बालक थारा हो
डिम्पी तेरो कुछ ना चाहवे बस चरणों में ध्यान रहवे
किने......