शिव सत्य रूपं शिव साकार है,
बरम सव्र्रुपम शिव निरा कार है
शिव के दर्शन पायो भोला मेरे मन भायो
शिव है तुझमे शिव है मुझ में हर घर आँगन में
इस धरती से उस अम्बर तक श्रृष्टि के कण कण में
अधि से अंत तक शिव ही शिव है
शून्य से अनंत तक शिव ही शिव है
शिव के दर्शन पायो भोला मेरे मन भायो
भोले भंडारी की छवि न्यारी बसी है जन जन में
सर्प लपेटे भस्म लगाये शिव अपने तन में
सब देवो में सव से अलग है अपनी धुन में मस्त मलंग है
शिव के दर्शन पायो भोला मेरे मन भायो