सावरिया सावरिया सावरिया सावरिया
तेने कहा लगाई इतनी देर अरे ओ सावरिया,
मैं दर की दर पर खड़ी रही पिया दर्श दिखना भूल गये,
मैं पतितन हु यह जानती हु तुम कन्हान हो यह भी मानती हु,
तुम पतित पावन के नाते भी मुजको अपनाना भूल गये,
मेहँदी सुन्दूर लगाओ क्या मैं घर में दीप जलाऊ क्या,
जो जनम जनम के साथी थे वो भी प्रीत निभाना भूल गये,
मैं दर की दर पर खड़ी रही पिया दर्श दिखना भूल गये,
तेने कहा लगाई इतनी देर.......
आज सखी प्रीतम जो पाऊ तो अपने बडभाग काहाऊ,
जो प्रीतम मेरी गलियन आवे, आवे रिहन को दरस दिखावे,
मेरे सन मुख बेठ मधुर मुस्करावे मैं फूली आंगन न सामवे,
नारायण माधव बनवारी कब मोसो कहे गये प्यारी ,
मैं हस उनको कंठ लगाऊ आज सखी प्रीतम जो पाऊ,
तेने कहा लगाई इतनी देर.......