न भटको मोह से प्यारे

न भटको मोह से प्यारे,
ये रिश्ते टूट जाएँगे ।
जिन्हे अपने समझते हो,
कभी वे रूठ जाएँगे ।।

जगत के रिश्ते-नाते सब,
ये छूटेंगे मरोगे जब ।
जिसे दौलत समझते हो,
कभी सब लूट जाएँगे ।।
              न भटको.....

सभी विपदा से रोते हैं,
नहीं कोई सुखी जग में ।
अगर प्रभु को सुमिर ले तो,
तेरे गम छूट जाएँगे।।
             न भटको.....

सफल नर जन्म करना हो,
तो प्रभु की भक्ति कर लेना ।
कान्त यदि ध्यान यह धरले,
मोह सब छूट जाएँगे ।।
             न भटको.....

Lyricist :- दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।
               स्वर : गायत्री ।

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