तुझ संग रिश्ता मेरा पावन मैं क्यों करू न शुकराना,
करू न शुकराना गुरु जी क्यों न करू शुकराना
तुझ संग रिश्ता मेरा पावन मैं क्यों करू न शुकराना,
तेरे नाम से मिट जाती है मन में जो चिंता हो
तुम ही भाई बहिन अब मेरे तुम ही मात पिता हो
रिश्ता युही निभाना गुरु जी रिश्ता यु ही निभाना
तुझ संग रिश्ता मेरा पावन मैं क्यों करू न शुकराना,
सागर की बस एक तमना दर पे तेरे जाऊ
मुझको दाता इनता दया क्यों न शुकर मनाऊ
सपना पूरा करवाना गुरु जी सपना पूरा करवाना
तुझ संग रिश्ता मेरा पावन मैं क्यों करू न शुकराना,