मनमोहन घनश्याम जी , आन सवारो काज
लूट ना जाऊ आज में , रखो मेरी लाज
सावरे कान्हा तू मेरी लाज बचाले , लाज बचाले
की और मेरा कोई नही
पर्दा ना उठे मुझे दुनियाँ से उठा ले , दुनियाँ से उठा ले
की और मेरा कोई नहीं …………….
पंचो में दे बैठी जिनको अपना हाथ में
पाँच पति पाकर भी रह गई अनाथ में
हार के बैठे है मुझे जीतने वाले , जीतने वाले
की और मेरा कोई नही………….
दुष्ट मुझे लाया है बालो से खींच के
पाण्डव सब बैठे है आँखों को मीच के
करते है फरियाद खुले बाल ये काले , बाल ये काले
की और मेरा कोई नही…………...
आज मेरी हालत पे आँच अगर आएगी
श्याम मेरी लाज नही तेरी लाज जाएगी
डूब ती नैया को किया तेरे हवाले , तेरे हवाले
की और मेरा कोई नही………..