श्री गोवर्धन महाराज, आपकी महिमा भारी है,
भक्तो की राखो लाज, शरण जो आये थारी है।
तू मन मोहन का प्यारा,
ये जाने है जग सारा,
गुण गावे जो भी थारा, कट जाये विपदा सारी है,
श्री गोवर्धन महाराज, आपकी महिमा भारी है......
गिरवर ऊँगली में ठायो,
वर्षा से ब्रिज बचायो,
इंद्र का मान घटायो, मोहन गिरवर धारी है,
श्री गोवर्धन महाराज, आपकी महिमा भारी है......
मान सी गंगा में नहाते,
परिक्रमा भक्त लगाते,
तेरे दूध की धार चढ़ाते, जिनपे कृपा थारी है,
श्री गोवर्धन महाराज, आपकी महिमा भारी है......
जय हो गिरिराज धरण की,
दुख भंजन गोवर्धन की,
ये ही विनती है भूलन की, कट जाये भव बीमारी है,
श्री गोवर्धन महाराज, आपकी महिमा भारी है......