बालाजी पे चढ़े सिन्दूर कहियो म्हारे भक्ता ने
जब म्हारे बालाजी बागा में आये
बागा में आये म्हारे बागा में आये
बागा में खिल गए फूल कहियो म्हारे भक्ता ने
जग म्हारे बालाजी आँगन में आये आंगन में आये
म्हारे अगन में आये आँगन में हो रही जगरात
जब महारे बालाजी द्वार पे आये द्वारे पे आये
म्हारे द्वारे पे लडडुआ का चढ़ गया भोग कहिये म्हारे बालाजी
जब महारे बालाजी द्वार पे आये
बालाजी पे चढ़े सिन्दूर कहियो म्हारे भक्ता ने
बालाजी पे चढ़े सिन्दूर कहियो म्हारे भक्ता ने