सिंदूरी तन तूने रंग डाला,
भक्ति में कारज ये कर डाला,
माता सिया को देखा था इक दिन सिंधुर मांग में भरते हुए,
हनुमत ने पूछा ये क्या है मैया सीता से को तू हल करते हुए,
है ये सुहाग का मेरे निशान सिंधुर में वस्ते मेरे प्राण,
सिंधुर से मेरे हो जाते राम इस लिए मैं भर्ती मांग बाला,
सिंदूरी तन तूने रंग डाला....
इक चुटकी सिंधुर मांग भरी जो मिल जाते मैया को मेरे श्री राम,
मैं पूरा तन जो सिंधुरी रंग लू पुरे के पुरे मेरे होंगे राम,
ढेर सारा सिंधुर मंगाया तन मन सिंधुरी रंगवाया,
हनुमान ने राम गुण गया, गले फेर डाली राम नाम माला,
सिंदूरी तन तूने रंग डाला......
राम सिया ने हनुमत को देखा सिंधुरी रंग में रंगे हुए,
कारन जो पूछा हनुमान जी से बोले प्रभु तुमको पाने के लिए,
हैरान हो गए थे राम सिया हनुमान तूने ये क्या किया,
भक्ति में तन सारा रंग लिया भक्ति है तुम्हरी बेमिसाल बाला,
भक्ति में कर्ज ये कर डाला
देखि जो भक्ति हनुमान जी की हनुमान से बोले राम सिया,
तुझपर चढ़े गा सिंधुरी चोला हनुमान को वरदान दिया,
हर मंगल चोला चढ़ाये गा जो,
सिंधुरी रंग से रंगवाये गा जो हनुमत की किरपा पायेगा वो,
उन भक्तो का होगा बोल बाला,
सिंदूरी तन तूने रंग डाला