सालासर की नगरी में, बालाजी का ठिकाना है,
दिन-रात खुशियों का, यहाँ बटता खजाना है....
जीवन की पूरी यहाँ, हर आश होती है,
होती नही पल दो पल, दिन-रात होती है,
बात नही दुनिया की, तीनो लोकों ने माना है,
सालासर की नगरी में, बालाजी का ठिकाना है.....
आती है दुनिया यहाँ, अपने दुखड़े सुनाने को,
बालाजी बैठे यहाँ, सबकी बिगडी बनाने को,
दीनदुखियों को राहत मिले, ऐसा अंगना सुहाना है,
सालासर की नगरी में, बालाजी का ठिकाना है.....
सबको बराबर का, यहाँ इंसाफ मिलता है,
कर्मो का फल भी यहाँ, हाथों हाथ मिलता है,
बालाजी के आगे कोई, नहीं चलता बहाना है,
सालासर की नगरी में, बालाजी का ठिकाना है.....