हरी बोल हरी बोल हरी हरी बोल केशव माधव गोविंद बोल

हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
नाम प्रभु का है सुखकारी,
पाप काटेंगे क्षण में भारी।
नाम का पीले अमृत घोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
शबरी, अहिल्या, सदन, कसाई
नाम जपन से मुक्ति पाई।
नाम की महिमा है बेतोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
सुवा पढ़ावत गणिका तारी,
बड़े-बड़े निशिचर संहारी।
गिन-गिन पापी तारे तोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
नरसी भगत की हुण्डी सिकारी,
बन गयो साँवलशाह बनवारी।
कुंडी अपने मन की खोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
जो-जो शरण पड़े प्रभु तारे,
भवसागर से पार उतारे।
बन्दे तेरा क्या लगता है मोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
राम-नाम के सब अधिकारी,
बालक वृध्द युवा नर नारी।
हरी जप इत-उत कबहूँ न डोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
चक्रधारी भज हर गोविन्दम्
मुक्तीदायक परमानन्दम्।
हरदम कृष्ण मुरारी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
रट ले मन तू आठों याम
राम नाम में लगें ना दाम।
जन्म गँवाता क्यों अनमोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
अर्जुन रथ आप चलाया,
गीता कह कर ज्ञान सुनाया।
बोल, बोल, हित-चीत से बोल,
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल
केशव माधव गोविन्द बोल॥
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