मोहनी मूरत पे
मैं निछावर हो जाऊं,
प्यार करूं इतना तुम्हें,
तुझ में ही खो जाऊं।
नैन में नंदलाल यूं सूरत जो बस जाए तो,
आनंद का रस बरसे मैं
पागल हो जाऊं।
मेरे हरि मेरे गिरधर गोपाल,
मेरे हरि मेरे नटवर नंदलाल, जी
मेरे हरी हे दीनों के हे दयाल,
प्रभु मैं तेरा तू मेरा,,,,
1
कभी तो बैठो पास मेरे,
जी भर तुम्हें निहार लूं,
अपने दिल की सारी बातें तुमसे आज कहूं।
तेरे कोमल चरणों को पलकों से बुहार लूं,
तेरा साया बनके श्याम,
तेरे ही साथ रहूं।
मेरे हरि मेरे गिरधर गोपाल
मेरे हरि मेरे नटवर नंदलाल जी
मेरे हरि हे दीनों के हे दयाल
प्रभु मैं तेरा तू मेरा,,,
2
मेरे बस में जो होता दिल में बिठा लेता तुम्हें,
तू चाहे तो अपने चरणों से लगा ले मुझे।
हे हरि हर लो मेरे बंधन तेरे मिलने के,
अपनी शरण अपना सहारा
दे दो तुम मुझे।
मेरी हरी मेरे गिरधर गोपाल
मेरी हरि मेरे नटवर नंदलाल जी
मेरे हरि हे दीनों के हे दयाल
प्रभु मैं तेरा तू मेरा,,,,,
धुन,
आशियाना मेरा साथ तेरे है ना,,,,