बरसाना बुला रही है ये दया नहीं तो कया है
अब तक बुला रही है ये दया नहीं तो कया है
बरसाना बुला रही है
कोई माने या ना माने मैं खास हूं तुम्हारा
लगता है जैसे मुझे को मै दास हूं तुम्हारा
बरसाना बुला रही है ये दया नहीं तो कया है
कहते हैं मुझ को सारे दीदार तेरा पाऊं
टूटी हुई वाणी से गुणगान कैसे गाऊं
बरसाना बुला रही है ये दया नहीं तो कया है
जीवन मैं जो दिया है मैंने कुछ भी नहीं किया है
मिली मामा को शौहरत वो तेरा शुक्रिया है
बरसाना बुला रही है ये दया नहीं तो कया है
लेखक व गायक
रसिक पागल मामा