हम दर पे झुकाने शीश तेरे हर ग्यारस खाटू आते हैं,
लेकिन जब वापस जाते हैं नैनो से आंसू बहते हैं,
हम दर पे झुकाने शीश तेरे…………………
बड़ी दूर दूर से ओ बाबा प्रेमी दरबार में आते हैं,
जो जैसी नियत रखते हैं वैसा ही वो ले जाते हैं,
तू लखकर देता है बाबा कहलाया लखदातारी है,
लेकिन जब वापस जाते हैं नैनो से आंसू बहते हैं………..
जब विपदा कोई आती है तेरी मोरछड़ी लहराती है
तेरी मोरछड़ी खाटूवाले हर बिगड़ी बात बनाती है,
हारे का साथी है बाबा दुनिया ये सारी जाने है,
लेकिन जब वापस जाते हैं नैनो से आंसू बहते हैं…………
जब सांवरिया तू सजता है बाबा बड़ा प्यारा लगता है,
तुझे देख देख कर ओ बाबा भक्तों का दिल नहीं भरता है,
जय कौशिक भी है दास तेरा तेरा ही सुमिरन करता है,
लेकिन जब वापस जाते हैं नैनो से आंसू बहते हैं,
हम दर पे झुकाने शीश तेरे…………………