मईया यशोदा लगी जगाने,
प्यार से लेके नाम -2
भोर भई देखो पंछी बोले
जागो हे घनश्याम -2
प्रात काल की बेला है ये,
शीतल मन्द समीर चल रही
भवरो की टोली पुष्पों से
गुनगुन गुनगुन बात कर रही
रात बीती तारे चुप गए
चाँद गया निझधाम।
भोर भई देखो पंछी बोले
जागो हे घनश्याम -2
गउएं बछड़ो से मिलने को
अपने थान पे लगी रमाने-2
वेद मंत्र और आरध्या की
स्वर भी अब तो लगे सुनाने
कालिया जागी गालिया जागी
जागा ये बृजधाम।
भोर भई देखो पंछी बोले
जागो हे घनश्याम -2
लाल उठो अब आँखे खोलो
मईया जगाये मईया सुनने -2
काम धाम सब पड़े हुए है
दहिया भी तो रखा है
द्धार पाल सखा तुम्हारे
पूछे क्या जगश्याम।
भोर भई देखो पंछी बोले
जागो हे घनश्याम -2