छाई काली घटाएं तो क्या,
इसकी छतरी के नीचे हूँ मैं...-2
आगे आगे ये चलता मेरे,
मेरे मालिक के पीछे हूँ मैं
इसने पकड़ा मेरा हाथ है,
बोलो डरने की क्या बात है
साँवरा जब मेरे साथ है.....
इसकी महिमा का वर्णन करूँ,
मेरी वाणी में वो दम नहीं
जबसे इसका सहारा मिला,
फिर सताए कोई ग़म नहीं
श्याम करता करामात है,
बोलो डरने की क्या बात है
साँवरा जब मेरे साथ है...
क्यों मैं भटकूं यहाँ से वहाँ,
इसके चरणों में है बैठना
झूठे स्वार्थ के रिश्ते सभी,
श्याम प्रेमी से रिश्ता बना
ये कराता मुलाकात है,
बोलो डरने की क्या बात है
सांवरा जब मेरे साथ है.
बोलो डरने की क्या बात है
इसके रहते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये औकात है
साँवरा जब मेरे साथ है.....