मेरी दाती ओ मईया मुझे थाम ले।
कब से बैठा हुआ हूँ मैं तेरे सामने।।
जग का मारा हुआ सबसे हारा हुआ,
भरोसा था वह भी नकारा हुआ,
द्वार कोई ना बाकी रहा सामने,
मेरी दाती ओ मईया मुझे थाम ले.....
तू भी ना सुने तो मैं जाऊ कहा,
थक कर हार कर तो मैं आया यहा,
फिसल कर के खडा हु तेरे सामने,
मेरी दाती ओ मईया मुझे थाम ले.....
जब भी मैं गिरा हूं संभाला है माँ
अपने बेटे से बढ़कर के पाला है माँ
हर कतरा आए माँ तेरे सामने .....
मेरी दाती ओ मईया मुझे थाम ले
जननी ना होकर के भी जननी बनी,
तेरा बेटा बनु ऐसी करनी नही,
नजरे कैसे उठालू तेरे सामने,
मेरी दाती ओ मईया मुझे थाम ले.....
माँ कहकर भी मैंने ना माना तुझे,
फिर भी ना पराया है जाना मुझे,
शर्म से सिर झुका है तेरे सामने,
मेरी दाती ओ मईया मुझे थाम ले.....
रचनाकार :- श्री सुभाष चन्द्र त्रिवेदी
माँ आशापुरा धाम ऑचल भोपावर