ईयै रे काया में आना नंही जाना ।
नंही कोई धुम मचाना ॥
साँवरिया मैं तो घर बार छोड ही जाना......
ईयै रे काया में जीणा नही मरणा ।
नंही कोई भेद बताना ॥
साँवरिया मैं तो घर बार छोड ही जाना......
ईयै रे काया में झुठा लोग बसता।
झुठो नेसंग नांय बसाणा ॥
साँवरिया मैं तो घर बार छोड ही जाना......
ईयै रे काया में रोगी है घणेरा ।
रोगीडो रे साथ नहीं रहाणा ॥
साँवरिया मैं तो घर बार छोड ही जाना......
कहत मदन सुणो मेरे भाई।
हरि से ना हैत हटाणा ॥
साँवरिया मैं तो घर बार छोड ही जाना......