तेरे दरबार जगदम्बे मै आशा लेकर आया हूँ,
नही सुनता जिसे कोई सुनाने तुझको आया हुँ,
तेरे दरबार जगदम्बे मैं......
नही है पास कुछ मेरे जो मै तेरी नजर कर दूँ,
मगर इक आंसूओ का मैं पिरोकर हार लाया हूँ,
तेरे दरबार जगदम्बे मैं......
मेरी आशा की दुनिया मे अन्धेरा ही अन्धेरा है,
जगा दो आशा का दीपक तम्मना ले कर आया हूँ,
तेरे दरबार जगदम्बे मैं.....
मै खाकर ठोकरे जग की हुँ आया दर तेरे मैया,
बचा लो मुझको दुनिया से बहुत ही मै सताया हूँ,
तेरे दरबार जगदम्बे मै आशा लेकर आया हूँ,
नही सुनता जिसे कोई सुनाने तुझको आया हुँ,
तेरे दरबार जगदम्बे मैं.......